Monday, 24 December 2012

हम  अपने  सस्कारों  से ही समाजिक  नागरिक बन  सकते हैं , संस्कार  हमें  जन्म  से  अपने पूर्वजों  से तथा समाजिक परिवेश से मिलते है, सही पोषण  हो तो आदमी  फरिश्ता  बन जाता है  अगर  दूषित हो  तो हेवन हो जाता है  जरूरत  सही पोषण की है  पोषण  घर से शुरू होता है और  समजा  उसे  गतिमान करता है अब समाज की जिमेवारी घर से ज्यादा  बन जाती है  क्यूंकि  आदमी समाज में ही रहता है इस का उस पर अधिक प्रभाव होता है समाज अगर  संस्कारी  होगा तभी आदमी संस्कारी होगा इसलिए समाज को  दुश्भावना से बचना होगा इस के लिए  पहले  घर को संस्कारी बनाना होगा जो हर आदमी को आत्मविश्लेषण  कर  चेतान्य्ता को जगाकर हर आदमी में अपना अक्ष  देखना होगा >

शुद्ध गाँधीवादी विचाधारा का अनुसरण करके ही हम एक संस्कारी समाज की कामना क्र सकते है



अमृत कुमार शर्मा